महोदय,
मामला सन 2003 की है मेरा एक खाता जहानाबाद (बिहार) के पोस्ट ऑफिस (खाता
संख्या 1218889) में था और उसमे रूपये 4300/- थे। मैं मार्च 2002 से
दिल्ली में रह रहा हूँ, अतः मैंने उस खाते को जहानाबाद मुख्य डाकघर से
मुख़र्जी नगर डाकघर, दिल्ली में स्थान्तरण के लिए दिनांक 18/02/2003 को
पासबुक सहित मुख़र्जी नगर डाकघर में लिखित आवेदन किया था उस आवेदन को
पासबुक सहित मुख़र्जी नगर डाकघर ने अपने स्तर पर जहानाबाद मुख्य डाकघर को
भेज दी. उसके बाद मैं कई साल तक मुख़र्जी नगर डाकघर में उसकी स्थिति जानने
के लिए भटकता रहा, पर हर वक़्त एक ही जवाब मिलता था की “अभी तक पासबुक
जहानाबाद से वापस नहीं आया है।” सन 2003 से सैकङों बार जहानाबाद का
चक्कर लगाया, पत्राचार किया, पर कुछ हासिल नहीं हुआ। अंततः दिनांक
02.12.2011 को उसकी स्थिति जानने के लिए आर.टी.आई. अधिनियम, 2005 का
इस्तेमाल किया. उसमे भी पहले कई बार गोल-मटोल जवाब देकर टालने की कोशिश
की गयी। उधर से जहानाबाद डाकघर ने भी लिखित रूप से यह जवाब दे दिया कि
उसने खाते का स्थान्तरण दिनांक 05.04.2003 को ही रजिस्टर्ड पत्र संख्या
3172 के द्वारा कर दिया है। उसके बाद दिनांक 19.01.2012 को पहली अपील, और
दिनांक 20.04.2012 को दूसरी अपील लगायी, पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल
रहा था उसके बाद कई बार अनुस्मारक देने के पश्चात केन्द्रीय सूचना आयोग,
ओल्ड जे.एन.यु. कैंपस के सुनवाई के बाद दिनांक 24.07.2013 को मुख़र्जी नगर
डाकघर में एक नए खाता संख्या[protected] के साथ पासबुक जारी कर दिया गया।
केन्द्रीय सूचना आयोग के पहल पर पासबुक तो मिल गया, उसमे पासबुक का
मूलधन रूपये 4300/- भी दिखा दिये, परन्तु मुझे हुई परेशानी का हर्जाना
मिलना तो दूर, 2003 से आजतक का ब्याज भी नहीं मिला, जब मैंने मुख़र्जी नगर
डाकघर को इसके ब्याज के बारे में पूछा तो मुझे यह कहा गया कि ब्याज देना
मेरे अधिकार में नहीं है, इसके लिए आपको पोस्टमास्टर जनरल, अशोक विहार,
दिल्ली को पत्र भेजना होगा, मैंने उसी डाकघर के जरिये इसके लिए पत्र
पोस्टमास्टर जनरल, अशोक विहार को उसी दिन भेज दिया, मुझसे उस वक़्त यह कहा
गया कि 2 से 3 माह में आपके ब्याज जुङ जायेंगे। करीब 4 से 5 माह बाद मैं
उस डाकघर में पता करने के लिए गया तो फिर से उसी तरह से टाल-मटोल वाली
जवाब मिली कि अभी तक ब्याज नहीं जोड़ा गया है। मैंने CNBC Aawaz पर प्रसारित
होने वाली पहरेदार पर भी अनुरोध किया है, पर पहरेदार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिल रहा है.
अतः आपसे यह अनुरोध है कि मुझे उपरोक्त मूलधन का ब्याज और पिछले 12 साल
से इसकी वजह से जो परेशानी और मानसिक प्रताङना झेलनी पड़ी है उसके हर्जाने
के तौर पर कम-से-कम 1 लाख रुपए दिलाने का कष्ट करें। अभी तक जितने भी
पत्राचार हुए है, उसके सभी कागजात मेरे पास उपलब्ध है, आपके पास ये
कागजात कब और कैसे भेजने है, ये बताए?
धन्यवाद
पत्राचार का पता:-
फ्लैट नo- SF- 04,
दूसरा तल्ला,
प्लॉट नo- एम.एम.- 89,
अंकुर विहार, डी.एल.एफ., लोनी,
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश,
पिन- 201102
मोबाइल नं०- [protected]
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