Dainik Bhaskar — complaint for unit head rewari haryana-jitendra sharma
M
men2018
from Jaipur, Rajasthan
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123103
सर,
पत्र लिखने से पहले यह स्पष्ट करना जरूरी है कि यह किसी द्वेष भावना या किसी का बुरा करने के लिए नहीं लिखा जा रहा है। पत्र के माध्यम से जो भी जानकारी आपको दी जा रही है उसकी बारीकी से जांच करा लिजिए। सबकुछ सामने आ जाएगा। मामला पूरी तरह 3 साल पहले ब्यूरो से यूनिट बनी रेवाड़ी यूनिट का है। कुछ दिन पहले यहां यूनिट हैड जितेंद्र शर्मा को उसके केबिन में एक पूर्व कर्मचारी ने पीट दिया था। वजह विज्ञापन में कमीशन एवं लेन देन को लेकर बना विवाद था। यह मसला प्रबंधन स्तर पर पूरी चर्चा में रहा और इसे दबा भी दिया गया। कायदे से कोई बाहर का व्यकित आकर यूनिट हैड को उसके केबिन में पीट जाए तो यह गरिमा यूनिट हैड की नहीं भास्कर की खंडित हुई है। कार्रवाई करने के बजाय इसलिए दबा दिया गया क्योंकि गलत यूनिट हैड था। कार्रवाई के दौरान पोल नहीं खुल जाए इसलिए पानीपत के तत्कालीन जीएम से तालमेल कर इसे दबा दिया गया। खैर यह रूटीन था। पहले भी कई बार हो चुका है। जब इसी यूनिट हैड ने अपने साथ नौकरी पर लगा रहे चेचेरे भाई सुनील शर्मा वर्तमान में अमर उजाला में कार्यरत है के साथ जमकर मारपीट की थी। सभी को नहीं पूरे जिले में मीडिया से जुडे हर शख्स को पता है। वह भी मसला खत्म कर दिया गया था। इससे पहले यह यूनिट हैड एक महिला मित्र के साथ कमरे में रंगे हाथों पकड़ा गया था। आस पास रहने वाले किराएदारों ने इसकी हरकत से तंग होकर मकान मालिक पर दबाव बनाकर इससे घर खाली करवाया था। यह मामला भी खूब चर्चा में रहा था। निष्पक्ष जांच कराने पर सबकुछ सामने आ जाएगा। इतना सबकुछ होने के बाद भी जब कुछ नहीं बिगड़ा तो यह शख्स इतना ताकतवर हो गया कि जो भी कर्मचारी अपनी हक की बात करता तो कोई ना कोई आधार बनाकर उसे नौकरी से निकाल देता।नारनौल- रेवाड़ी में या इसके समय में छोड़कर जा चुके 10 से ज्यादा कर्मचारियों से पूछा जा सकता है। इस तरह बाहर की एजेंसी के माध्यम से विज्ञापन प्रकाशित कराने का सिलसिला कई सालों से जारी है। कमीशन को लेकर जब उनसे बिगड़ गई तो उसने छह माह पहले इसी यूनिट हैड ने अपने अधीन कार्यरत यशवीर यादव के भाई को श्री गोपाल एडवरटाइजिंग विज्ञापन एजेंसी जारी कर दी। नतीजा नोटिस, रस्म पगड़ी एवं छोटे बड़े विज्ञापन जो सीधे कार्यालय में आते थे वे एजेंसी के माध्यम से प्रकाशित होने लगे। यानि सीधे 15 प्रतिशत का खेल। जांच करने पर सीधे तौर पर दो से तीन लाख रुपए कमीशन के तौर पर इस यूनिट हैड के पास जा चुके हैं। यहां यूनिट हैड का आदेश ही भास्कर माना जाता है। डर इतना है कि प्रबंधन के पास शिकायतों का ढेर पहुंच चुका है। कार्रवाई नहीं होने की दो वजह हो सकती है। पहली या तो जीएम स्तर के अधिकारी की कमजोरी को यह यूनिट हैड समय रहते पूरी कर देता है या इसने खुद को इतना मजबूत दिखा रखा है कि अगर उसके साथ छेड़छाड़ की तो बिजनेस खत्म हो जाएगा। जबकि हरगिज ऐसा नहीं है। इस शख्स ने चालाकी से चार बड़े स्कूल, रियल स्टेट एवं तीन-चार बड़े क्लाइंट अपने में जोड़े हुए हैं। पहला आरपीएस, सूरज, यदुवंशी एवं डॉ. रघुवीर एवं रियल स्टेट। जिनका बिजनेस रूटीन में कई सालों से आता रहा है। होता यह है कि जीएम को भौगोलिक स्थिति का ज्ञान नहीं होता या वे जानबूझकर पर्दा डाल देते हैं। अगर इन रूटीन क्लाइंटस को हटा दिया जाए तो आपको हैरानी होगी की इस क्षेत्र में सबसे मजबूत अखबार विज्ञापन बिलिंग में धरातल से भी नीचे हैं।
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