महोदय, आज दिनांक26 सितम्बर 2018 को शाम 6 बजे मैं अपने कार्यालय केन्दीयजलआयोग से घर जाने केलिए निकला 6 बजकर 5मिनट पर मैं सेक्टर एक आर.के.पुरम बस स्टॉप पहुंचा तभी 623 बस आ गई मैं उसमें चढ़ा मेरे साथ तीन चार यात्री और थे, मैं पास में खाली सीट पर बैठ गया और किराया केे लिए खुले पांच रुपया निकालने लगा इतने में ही बस चेकिंग वाले आ गए और मुझे टिकट के लिए बोला मैंने हाथ में पैसे दिखाते हुए कहा कि मैं टिकट ही ले रहा हूं। उन्होंने मुझे बस से नीचे उतरने को कहा मैं उतर गया उन्होंने मुझसे फाइन के लिए 200 रुपए मांगे, मैंने पूरी बात बताई ओर फाइन देने से मना कर दिया। फिर कुछ देर रवि जोकि ओखला डीपो का कर्मचारी बता रहा थाउससे बहस होती रही कुछ देर बाद इनकेे साथ का ही एक कर्मचारी ने कहा कि आप सिर्फ 100रुपए दे दो और जाओ मैंने मना कर दिया। इन्होंने कहा हमें कमसे कम 12 से 15 फाइन दिखाने पड़ते हैं। मैं नहीं माना, तब इन्होंने वही पास मे ही पुलिस वाले चेकिंग कर रहे थे, जिनमें एक मोहन सिंह हेड कॉन्सटेबल और दूसरे अजीत सिंह कॉन्सटेबल थे उनके ये मुझे ले गए, वहां पर भी बातचीत होती रही, मुझे घर जाने के लिए लेट हो रहा था, और इन लोगों के दबाव में आकर मैंने 200 रुपए का फाइन दे दिया। जबकि मेरी गलती नहीं थी, बस में चढ़े हुए सिर्फ एक मिनट हुआ था, तीन यात्री और थे वो टिकट ले रहे थे, तब तक मैं सीट पर बैठकर खुले पैसे निकाल रहा था। मैं अपनी बात साबित करने के लिए सिर्फ इतना कहूंगा कि जहां से मैं बैठा और जहां पर चेकिंग वाले खड़े थे, सिर्फ एक मिनट से ज्यादा नहीं लगता वहां पर आने का आप चाहें तो मौके पर आकर देख सकते हैं। मैं साथ में यह भी जानना चाहता हूं कि ऐसी स्थिति में यात्री के क्या अधिकार हैं, क्या यह फाइन मैं किसी अन्य अधिकारी के सामने अपनी बात रखने के बाद देने के लिए कह सकता हूं। मेरे ही सामने एक लड़ेके को इनहोंने पकड़ा उसने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं तो उसकी तलाशी ली और कुछ लेकर छोड़ दिया। मैं, चाहता हूं कि मेरी बात को सही ढंग से सुना जाए और जो मेरे से गलत फाइन लिया गया है, उन पर उचित कार्रवाई हो। फाइन की कॉपी अटैचमेंट में संलग्न है।
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