State Bank Of India [SBI] — Sbi bank korba branch chhattisgarh

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Fwd: Complain against SBI Korba Branch : अर्जेंट अर्जेंट अर्जेंट Inbox
Laxminarayan Gupta Thu, Apr 27, 2017 at 7:46 PM
To: sbi.[protected]@sbi.co.in, [protected]@mygov.nic.in, [protected]@govmu.org, [protected]@govmu.org, [protected]@sansad.nic.in, [protected]@del5.vsnl.net.in, [protected]@sbi.co.in
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अब हमने २६/०४/२०१७ को मजबूरी में १०६०००/- रुपये एस बी आई में जमा करा दिया है . पर हम खुश नहीं हैं . क्योंकि ये हमारी मजबूरी थी. आप हमें न्याय दिलाएं और हमें हमारे रुपये जल्द से जल्द ब्याज सहित दिलवाएं . मेरे पिताजी को पहले भी इसी वजह से हार्ट अटैक आया था और अभी फिर उनकी तबियत खराब हो गयी थी राशि जमा करने के कारन . हम जानते हैं की कोर्ट में आपके साथ हमें ५०-१०० साल तक और लड़ना पद सकता है . जो हमारे लिए पॉसिबल नहीं है. दो कोर्ट से हम केस जीत भी चुके हैं.
आप मेरे पिताजी के पूरे धन वापिस करवाएं.
[protected] Forwarded message[protected]
From: Laxminarayan Gupta
Date:[protected]:59 GMT+05:30
Subject: Complain against SBI Korba Branch
To: [protected]@sbi.co.in
Cc: sbi.[protected]@sbi.co.in, [protected]@mygov.nic.in, [protected]@govmu.org, [protected]@govmu.org, [protected]@sansad.nic.in, [protected]@del5.vsnl.net.in, [protected]@sbi.co.in

To,

SBI Governer

मैडम या सर,
मैं लक्ष्मीनारायण गुप्ता पिता श्री मणिराम गुप्ता एन.टी.पी.सी. जमनीपाली कोरबा, निवासी छत्तीसगढ़।
मेरे पिताजी ने एस.बी.आई. से 2006 में गृह लोन लिया था। जिसमें ये हुआ कि एस.बी.आई कोरबा ब्रांच के ब्रांच मैनेजर ने बिल्डर के साथ मिलकर एक बहुत बड़े घोटाले को अंजाम दिया जिसमें मेरे पिताजी आज तक पिस रहे हैं।
आपके एस.बी.आई ब्रांच मैनेजर ने पहले तो बिना डाईवर्जन के प्लाॅट फाईनेंस करवाकर बिकवाया जिसमें घर बनवाने का भी प्रावधान था।
इसमें काफी लोगों ने बुकिंग करवाई थी और बिल्डर ने एक ही प्लाॅट को 2-3 लोगों को बेच दिया था और दूसरी बात आपके बैंक मैनेजर साहब ने बिना किसी डिसबर्समेण्ट शेड्यूल के और बिना किसी चेकिंग के 200-300 लेागों का फाईनेंस का एमाउंट एक साथ मिली भगत करके बिल्डर को पेमेन्ट कर दिया था एवं जिसके परिणाम स्वरूप बिल्डर पैसे लेकर भाग गया। फिर पकड़ा गया जेल हुई और आपके एस.बी.आई ब्रांच मैनेजर को नौकरी से निकाल दिया गया था। परंतु इससे हमारी समस्या का हल नहीं होता है।
हमनेे उपभोक्ता फोरम में और स्टेट कमीशन में भी केस जीत लिया है। अब आपका वकील कहता है कि हम सुप्रीम कोर्ट जायेंगे और आगे लड़ेंगे। मुझे ये बताईये, कि यदि आज हमारा प्लाॅट और मकान बनकर हमारे पास होता तो हमें कभी कोई तकलीफ नहीं होती और आज उस जगह पर उसका दाम 30-40 लाख रूपये होता। मगर बैंक मैनेजर के द्वारा की गई गड़बड़ी की वजह से हमनें हमारे किश्त बंद करवा दिये थे और 10 साल से केस लड़ रहे हैं। जिसमें भी जीत हमारी हुई है।
अब मेरे पिताजी को दूसरा घर बनवाना पड़ा 15 लाख रू. उसमें लग गये। आप बैंक वालों ने हमारा मजाक बना दिया है। अब आप हमारा नुकसान देखिये। आज हमारा घर तकरीबन 30 लाख का होता $ 15 लाख में नया घर $ हमें आपसे या आपकी बैंक से 7-10 लाख मुआवजा मिलना चाहिये यह कुल होता है करीब 50-55 लाख रू.।
अब आप मुझे बताईये मेरे पिताजी कब तक लड़ते रहेंगे और उनके नहीं रहने पर इस धन का क्या मतलब। आप भोली-भाली जनता का मजाक बना रहें है।
अगर गलती आपके बैंक और बिल्डर द्वारा हुई है तो सजा भी आप भुुगतें और आगे अपील करके जनता को क्येां परेशान किया जा रहा है। आपके बैक के ही वजह से मेरे पिताजी को हार्ट अटैक भी आया था और आज तक वो महीनें के 6 हजार से 7 हजार की दवा खाते हैं। आप को शर्म आनी चाहिये।
एस.बी.आई बैंक जनता की दुश्मन बन गई है। हमें और हमारे जैसे बहुत से लोगों को आपसे नफरत है। आप की वजह से हमें टेंसन बना रहता है। आप जैसे बड़ी बैंकों से जिन्दगी भर लड़ने की हमारी क्षमता नहीं है। अभी तो पत्र के द्वारा एवं इसके बाद मैं यूट्युब में भी इस बात का एडवरटाइस करूंगा। आपको अंदाजा नहीं है कि आप के बैंक के करतूत की वजह से कितनी ही लोगों की जिन्दगी बर्बाद हो रही है।
अब आपकी बैंक का कहना है कि कस्टमर की तरफ से बकाया में से ब्याज माफ करके पिं्रसिपल, कस्टमर द्वारा बैंक में जमा कराया जाये और केस भी वापस लिया जाये तभी हम एन.ओ.सी. देंगे। यह तो बैंक द्वारा सरासर धमकी है। कोर्ट के फैसले के अनुसार हमें हमारा प्लाॅट बेचने का भी हक है एवं बैंक द्वारा मुआवजा भी मिलना चाहिये, वरना हमारा इतने साल केस लड़ने का क्या मतलब।
या तो आप हमारा पिछला 50 लाख का नुकसान हमें दीजिये फिर हम आपका किश्त का एमाउंट आपको दे देंगे।
केस साफ सुथरा हे इसमें लीपा-पोती न करें क्योंकि आपने ही बैंक ब्रंाच मैनेजर को डिसमिस किया था और कोर्ट का फैसला हमारे तरफ ही है। अभी हमें हमारे वकील को भी फीस देनी हैं। हम आप बैंक की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो गये हैं। आज हमें वो घर मिला होता तो हमारी जिंदगी भी ठीक-ठाक चल रही होती।
उपभोक्ता फोरम के समय मेरे पिताजी को हर महीनें पेशी में आना पड़ता था एवं वकीलों को पैसे बांटने पड़ते थे यें तो सरासर हम जनता का मजाक है। आप बैंक तो बड़ी संस्था है वकील को बड़ी सैलरी व फीसें देकर जिंदगी भर हमारे खिलाफ अपील करके लड़ सकते हैं परंतु हम जनता क्या करें।
यदि आपके सीनें में दिल है तो कृपया मेरी, मेरे पिताजी फैमिली एवं जनता की भावनाओं की कदर करें एवं आगे कहीं भी अपील न करते हुये हमें हमारे हक का धन हमें वापस करें और स्टेट कमीशन एवं उपभोक्ता फोरम के फैसले का सम्मान करें।
मैं अपनी नौकरी छोड़कर पूणे से कोरबा आया हूँ इस लड़ाई में मेरे पिताजी का साथ देनें कि मैं उनकी जगह दौड़ सकूँ। आज उनकी उम्र 67-68 हैं, आप क्या चाहतें हैं कि उनके एकाउंट में जो भी थोड़े रिटायरमेंट के सेविंग बचे हैं। वो भी आप बैंक को देकर बर्बाद हो जायें तो आपको तसल्ली होगी। अगर ऐसा करने से उनकी तबियत खराब होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।
हम केस हारते तो समझ में आता कि गलती हमारी है पर हम केस भी जीत चुके हैं फिर क्यों आम जनता को परेशान करके उनसे पैसे वसूल करना चाहते हैं। आपकी इतनी बड़ी संस्था है आप लड़ सकते हैं पर आम आदमी के लिये यह पाॅसिबल नहीं है।
हमें तो आपसे 20-30 लाख लेना चाहिये पर हम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट होकर जो भी 8-10 लाख का एमाउंट बन रहा है। वहीं देकर इस केस का निराकरण करें, मानवता दिखायें एवं कोर्ट के फैसले की इज्जत करें।
मैडम मैं आपसे निवेदन करता हूँ आप हमें हमारा प्लाॅट का एन.ओ.सी. बिना किसी शर्त के दे देवें तो हम उसे बेचकर अपना कुछ पैसा वसूल कर सकें एवं आपके द्वारा मुआवजा भी प्रदान करें और हमें भी सुख चैन से जीनें दें।
हम आपकी बहुत इज्जत करते हैं एवं आपके द्वारा फैसले का इन्तजार कर रहे हैं। कृपया हमें न सतायें। हमारे दर्द को समझें।
एक बात और बताना चाहुँगा कि आपके बैंक मैनेजर ने मेरे पिताजी की साइन करकेे पैसे बिल्डर को दिये थे और वो भी बिना डिस्बर्ससमेंट के एवं बिना इंस्पेक्सन के।
मेरे पिताजी सीधे सादे एवं कम पढे लिखे हैं। सामान्यतः जो होता है कि बड़े से बड़े पढ़े लिखे एवं पैसे वाले लोग भी आपके एप्लिकेशन को डिटेल में नहीं पढ़ते हैं परन्तु वह एस.बी.आई पर इतना विश्वास के साथ चलते हैं कि जहाँ मैनेजर हस्ताक्षर करने को बोलता है तो कई बार कर देतें हैं परंतु इसका मतलब यह नहीं होना चाहिये कि बैंकर नियम को ताक पर रखकर कोई भी मनमानी करें। बैंक मैनेजर बैंक का चेहरा होता है।
मैंने अपने प्लाॅट का सौदा किसी के साथ कर दिया है तो मुझे जल्द से जल्द मतलब 12 तारीख तक आपके द्वारा फैसला चाहिये। और इस केस के झंझट से निजाद चाहिये। हमें भी जिन्दगी शांति से जीने का हक है। मुझे आपके द्वारा बिना किसी शर्त के एन.ओ.सी. चाहिये जो मैं मेरे क्लाइंट को दे सकूँ।
बैंक मैनेजर लोगों द्वारा की गई अनियमितता एवं धोटाले की वजह से आप 100-200 लोगों को जिन्दगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
मैं आपको स्टेट कमीशन द्वारा दिये गये फैसले का शीट भी अटैचमेंट में लगा रहा हूँ।
और जैसा कि आप लोगों ने 31.03.2017 का आखिरी दिन हमें दिये थे कि आप पेमेंन्ट करें बैंक को एवं केस वापिस लें तो ही हम एन.ओ.सी. देंगे। अब तो यह तारीख निकल गइ है, आप बताएँ, हम अब क्या करें।


Thanks and Regards,
Laxminarayan Gupta
[protected]
Raipur (C.G)
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