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जाली सिग्नीचर,फटा चेक और मृतक खातेदार का डेथ सर्टिफिकेट
बैंक ऑफ़ बरोदा का सीनिएर ब्रांच मेनेजर मृतक खातेदार के अकाउंट का जाली सिग्नीचर का दो लाख सात हजार रूपये का चेक पास करता है वो भी ऐसी परस्थिति में के जब मृतक व्यक्ति का डेथ सर्टिफिकेट बैंक का सीनियर मेनेजर रिसीव करता है चेक पास होने के पहले डेथ सर्टिफिकेट मेनेजर के हाथ में है फिर भी जाली सिग्नीचर के आधार पर चेक पास करना ही है तो डेथ सर्टिफिकेट को देखने की क्या जरुरत है .? चेक पास होने के बाद पास हुए चेक का तीन हिस्सा आराम से फाड़ कर गायब कर देता है .आराम से इसलिए लिखा है क्योंकि चेक मेनेजर के पास ही है तो आराम से ही बेचारा फटेगा.
गुनाह कितने हुए देखिये .पहला गुनाह मृतक खातेदार का डेथ सर्टिफिकेट रिसीव करने के बाद रूपये २०७०००/ का चेक पास करना ,.दूसरा गुनाह चेक को पास करने के बाद चेक को फाड़ डालना.और तीसरा गुनाह निश्चित है चेक फाड़ डाला है वो भी तीन चौथाई हिस्सा गायब कर डाला है तो सिग्नीचर जाली ही है.
बैंक ऑफ़ बरोदा की अच्छाई देखिये की वो खुद को कितना अच्छा साबित करना चाहती है .वो चेक को फाड़ डालने वाले पर पुलिस कार्यवाही नहीं करना चाहती.जिस चेक आधार पर पेमेंट हुआ है उसको फाड़ डालना गुनाह है मेनेजर की हिम्मत देखिये बिलकुल डर नहीं लगा.शायद चेक फाड़ने से पहले ही मालुम होगा की कोई कुछ नहीं करेगा .सिगनिचर जाली है तो मेनेजर के लिए चेक फाड़ना जरुरी हो जाता है .और खातेदार मृतक है तो पासिंग के सिग्नीचर छुपाने के लिए भी चेक फाड़ना जरुरी है.
बैंक ऑफ़ बरोदा कितनी अच्छी है कोई कार्यवाही नहीं करना चाहती .शायद बैंक ऐसे कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना चाहती है.और दुसरे कर्मचारियों को प्रेरणा भी मिलती है .इनको देखकर दुसरे कर्मचारी भी शायद ऐसे प्रोत्साह्जनक काम करेंगे.
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