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श्रीमान नरेंद्र मोदी जी,
हम एक ऐसा मंच गूगल कर रहे थे जिसपर आपसे संवाद भी स्थापित हो और संवाद के गवाह भी मौजूद हों। शुक्र है यह मंच सम्मुख आया है। आपने देश हित में demonatisation का कदम उठाया है। कहा गया कि black money निकल आयेगी। अब कितनी black money निकलवायी गयी यह एक तो आप और आपकी सरकार जाने और दूसरा ईश्वर ही जाने। हम निम्नवर्ग और मध्यमवर्ग देशवासी तो सिर्फ ठगे गये। देश भर में कई प्राइवेट स्कूल और प्राइवेट कॉलेज स्थापित हैं जिनमें शिक्षा का व्यापार हो रहा है। यह स्कूल कॉलेज वैसे तो शिक्षा के केन्द्र कहलाए जाते हैं किंतु परंतु यह शिक्षा के अलावा अपवाद श्रेणी अंतर्गत शिक्षा का प्रदाय भी करते हैं। इन प्राइवेट कॉलेज और प्राइवेट स्कूल, जो कि किन्हीं अन्य स्थापित शैक्षणिक सहकारी संस्थाओं के अधीन affilition प्रोग्राम के तहत अवस्थित होते हैं; इनके डायरेक्टर्स हाई सोसायटी और अथवा राजनीतिक क्षेत्र से संबंध रखे होते हैं। इन प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान पर प्रशासकीय दखल मुख्यत: दिखावटी और लेन-देन पर आधारित होता है। शिक्षा का स्तर भले कुछ भी हो लेन-देन का स्तर अच्छा होने से इन्हें affilition की पात्रता हासिल हो जाती है। इस पात्रता का खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ता है और इन्हें महँगी शिक्षा प्राप्त करने की मजबूरी से जूझना पड़ता है। हम यह बात आपकी जानकारी में लाना चाहते हैं कि आपके demonatisation प्रोग्राम में इन प्राइवेट स्कूल और प्राइवेट कॉलेज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, इनके धनाड़्य डायरेक्टर्स ने अपनी black money बड़ी सफाई से होल्ड और सेफ कर ली है। छात्र विरोध की स्थिति में नहीं हो सकते हैं, और इन affiliated शैक्षणिक संस्थानों के डायरेक्टर्स ने सैकड़ों छात्रों का इस्तेमाल अपनी black money सेफ करने में की है। एडवांस फीस के मद पर सैकड़ों छात्रों के नाम पर अपनी ही black money अपने ही प्राइवेट शैक्षणिक संस्था में जमा कर ली और बड़ी सफाई से excess receipt और अथवा registration cancellation के मद पर समय-समय पर withdraw भी कर ली। Audit सिर्फ कागजी पर्चों की होती है। हर धनाड़्य यह जानता है। बैकग्राउंड में कितने कैसे कागजी अव्यवस्थित पर्चे, व्यवस्थित कर लिए गये हैं यह ऑडिटर्स को कभी शायद पढ़ाया भी नहीं गया होगा। लेकिन इन शैक्षणिक संस्थान ने अपने सैकड़ों छात्रों और इनके परिजनों को बोनस में इसकी प्रैक्टिकल शिक्षा भी दे दी है कि यदि शासन प्रशासन देश हित में कोई ठोस कदम उठाए तो किस प्रकार से अपने काले को छिपाया जा सकता है। अफसोस है, लेकिन इन छात्रों और इनके परिजनों में गिनती के ही धनाड्य होंगे शायद, जिन्हें यह काले को सफेद करने की शिक्षा से फायदा मिलेगा कभी। फिलहाल तो इन धनाड़्यों को ही demonatisation का फायदा हासिल है। यह काले की छिपाईगिरी की कहानी एक नर्सिंग इंस्टिच्युट और महाविद्यालय (जॉइंट) की है, जो कि PtRSU, AHSU, PtSLS(O)U जैसे स्थापित शैक्षणिक युनिवर्सिटीज के अंतर्गत affilition में शिक्षा का महँगा विक्रय कर रहे हैं। इनके डायरेक्टर्स निजी हस्पतालों के डॉक्टर्स होने के साथ विभिन्न इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर्स भी हैं। इंडस्ट्रीज में भी असंख्य मजदूर कार्यरत होते हैं। अपनी खुद की निजी हस्पताल में भी स्टाफ कम नहीं रखे होंगे। अंदाजा लगाया जा सकता़ है कि कितना काला बड़ी सफाई से छिपाया गया हो सकता है। आपका demonatisation एक अनादर्श धनाड़य टीम की समझदारी से मुकाम हासिल नहीं कर पायी है तो समूचे देश में इनसे कुछ कम और कुछ ज्यादा समझदारों ने आपके demonatisation को कितना मुकम्मल सफल किया होगा। देश में लाखों प्राइवेट स्कूल प्राइवेट कॉलेज विद्यमान हैं और इनमें हैं करोड़ों निम्नवर्ग और मध्यमवर्गीय छात्र। आपकी समझदारी की मिसालें दी जाती हैं। इस विषय पर आप कैसी मिसाल कायम कर सकते हैं, अब हमें यह देखने की जिज्ञासा है।
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