Kokilaben Hospital — Medical negligence in treatment

Address:Mumbai City, Maharashtra, 400053
Website:www.kokilabenhospital.com

महोदय,
1) मै गबराज लाल बहादुर चौधरी उम्र ३२ वर्ष निवासी न्यू भारत लौंड्री ईमारत क्रमांक २, दुकान क्रमांक १२, एल.आई.सी कोलोनी बोरीवली (पश्चिम) मुंबई ४००१०३ संपर्क ९९६७५७५१९६ काम लोंड्री चालक, जो एक मध्यम वर्गीय व्यक्ति हूँ एवं इस्त्री की दुकान चलाता हूँ, मेरी सालाना आय ५०, ०००/- है व मेरे परिवार में मेरी माता श्रीमती सावित्री देवी आयु ६० वर्ष, पत्नी श्रीमती मिनी चौधरी आयु २८ वर्ष व बेटी प्राची चौधरी ५ वर्ष, बड़े भाई दीपू चौधरी व उनकी पत्नी, व् दो बच्चे (१ लड़का व् एक लड़की) व मेरे चाचा कुल मिलाकर ९ सदशय है |

6) मै 31 जनवरी को शाम को करीबन ६ बजे पेशेंट को लेकर कोकिलाबेन अस्पताल पहुंचा वहा पर मेरे सामने मरीज के हाथ, पैर, सर इत्यादि दबाकर जांच की जिसमे मरीज को दर्द हो रहा था इससे निश्चित हो गया की मरीज की स्थिति किसी लकवे जैसी बिमारी का शिकार नहीं थी इसके बाद अंदरूनी जांच हेतु मरीज का सिटी स्केन करवाया गया जिससे पता चला की ब्रेन में नस फटने से खून फ़ैल गया है और हमको ब्रेन का ओपरेशन करने को कहा और हमसे मरीज के इलाज से सम्बंधित पुराने पेपर मांगे जो हमने दे दिए और इलाज के लिए आवश्यक फार्म भरकर २५, ०००/- रुपये जमा किये जिसके बाद मरीज का ओपरेशन शुरू हुआ कुछ घंटो बाद मुझे डाक्टरों ने बताया की ओपरेशन सफल रहा है डरने की कोई बात नहीं है अब मरीज को रिकवरी के लिए आयसीयु में रखा है

8) १२/०२/२०१४ तक मरीज के इलाज का बिल ७, ४६, ०००/-(सात लाख छियालीस हजार रुपये) हो गया और हॉस्पिटल ने मुझपर पैसे भरने का दबाव बनाना शुरू कर दिया पर ये नहीं बताया की इस इलाज में और कितना वक्त लगेगा पूछने पर केवल इतना बताया जाता की रिकवरी हो रही है हमारी एसी स्थिति हो गई की हम मरीज को कहीं और लेकर भी नहीं जा सकते थे और नाही हमारे पास पैसे थे और बीमा कम्पनी ने भी हमारी कोई मदद नहीं की इसके बाद हम अस्पताल के मेडिकल सोशल वर्कर श्री योगेश पाटिल से मिले और अपनी स्थिति बताई, तब उन्होंने मुझे कहा की आप अपना इनकम सर्टिफिकेट लाकर दो मैं आपकी मदद करूंगा तब मैंने तहसीलदार द्वारा प्राप्त आय प्रमाणपत्र उन्हें दिया परन्तु तीन चार दिन बाद उन्होंने हॉस्पिटल के बोलने पर मुझे मेरा आय प्रमाणपत्र वापस यह कहते हुए कर दिया की आपको पुरे पैसे भरने पडेगा |
9) मेरे पास इतने पैसे नहीं थे तब मैंने दिनांक २७/०२/२०१४ को दहिसर में एक सामाजिक संस्था भारतीय मानवाधिकार परिषद में मदद की गुहार लगाईं जहा श्री संदीप शर्मा (महाराष्ट्र प्रदेश सेक्रेटरी) को पूरी घटना की जानकारी दी मामले को समझ कर उन्होंने मेरी मदद की
10) एक तरफ बिल बड़ी तेजी से बढ़ रहा था दूसरी और पैसों की कोई गुंजाइश नहीं थी और हॉस्पिटल दबाव बना रहा था और पेशेंट को निकाल देने की धमकिया दे रहा था तब संदीप शर्मा ने बीमा कंपनी, हॉस्पिटल, इन्सुरंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथोरिटी, व महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल को पत्र लिखकर सहायता हेतु निवेदन किया
11) दिनांक ६ मार्च को मेल के माध्यम से पुनः निवेदन किया गया दिनांक ८/३/२०१४ को भी वापस मेल किया गया १२ मार्च को स्टार हेल्थ की शिकायत मेल द्वारा आय.आर.डी.ए. को की गई इसके जवाब में महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल ने पत्र द्वारा दिनांक २४/०३/२०१४ को मुझे इस मामले की विस्तृत शिकायत करने को कहा
12) दिनांक १९/०३/२०१४ को संदीप शर्मा ने श्री अ. रा. बामने, कार्यकारी आरोग्य अधिकारी, बृहन मुंबई महानगर पालिका, एवं मा. धार्मादय आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य, को कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल द्वारा मरीज के साथ असंवैधानिक रूप से व्यव्हार किये जाने के सन्दर्भ मै शिकायत की हॉस्पिटल बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट १९५० के अंतर्गत पंजीकृत है जिसके लिए आय प्रमाण पत्र के साथ सभी जरुरी कागजात उन्हें उपलब्ध करवाए गए है, परन्तु मरीज को सहायता करने के स्थान पर हॉस्पिटल प्रशाशन उनके साथ अमानवीय व्यव्हार किया जा रहा था पैसे जमा करने की धमकी दी जा रही थी अन्यथा इलाज रोक देने का दबाव बनाया जा रहा था जो अस्पताल प्रशाशन की निंदनीय सोच को परिचायक है
१३) दिनांक २७/३/२०१४ को इन्सुरेंस कंपनी ने अपने पत्र के माध्यम से मुझे सूचित किया की हम पुनर्विचार करने के लिए आवश्यक दस्तावेज भेजिए जो मैंने भेजे मेल के द्वारा भेजे परन्तु बार यही जवाब देकर अंत में बीमा कंपनी ने मेरी पत्नी की पालिसी ही केंसल कर दी और मुझपर धोखे से पालिसी बनवाने का आरोप लगाया
१४) दिनांक १/४/२०१४ को संदीप शर्मा ने एक पत्र तात्कालीन लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री, महाराष्ट्र राज्य, श्री सुरेश हिरयन्ना शेट्टी, मा. श्री प्रबंधक, मेडिकल काउन्सिल ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली, मा. प्रबंधक, महाराष्ट्र वैद्यकीय परिषद, व मा धर्मादाय आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य, मुंबई, मा. श्री अ. रा. बामने. तात्कालीन कार्यकारी आरोग्य अधिकारी, बृहन मुंबई महानगर पालिका, को कोकिला बेन अम्बानी अस्पताल पर उचित कार्यवाही किये जाने के सन्दर्भ में व कोकिला बेन अम्बानी रुग्णालय द्वारा मरीज को दी जा रही प्रताड़ना सम्बन्धी शिकायत की जिसपर आरोग्य संचालनालय महाराष्ट्र राज्य द्वारा २०/०५/२०१४ को श्री बामने को पत्र के माध्यम से कार्यवाही करने को कहा गया पर उन्होंने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की और दिनांक ५/४/२०१४ को उप स्वस्थ्य अधिकारी (संनिरिक्षण) कस्तूरबा अस्पताल को पत्र भेज दिया पर कोई कार्यवाही हुई अथवा नहीं इस बात का कोई जवाब ना तो खुद लिया ना मुझे पत्र द्वारा बताया
१५) मैंने अस्पताल प्रशाशन को भरोसा दिलाया की यथा संभव धन की व्यवस्था करूंगा परन्तु इस प्रकार के असीमित खर्च को वहन करना हमारे लिए संभव नहीं है तभी मरीज की निगरानी कर रहे डॉ. अभिशेख श्रीवास्तव द्वारा पेट में नलिका लगाकर इलाज का स्तर बढाने के निर्णय को पैसों की खातिर रोक कर रखा आगे की कार्यवाही के लिए दिनांक १९ मार्च २०१४ से मरीज को अधर में रखा गया व मुझको क्लियरेंस के नाम पर विभिन्न विभागों में भगाया गया जिसमे अकाउंट, बिलिंग, विभाग से क्लियरेंस लाओ अन्यथा इलाज नहीं होगा और एक माह तक मरीज का का इलाज पैसों को लेकर नहीं किया गया
१६) यहाँ यह बात महत्वपूर्ण है की कोकिला बेन अम्बानी अस्पताल मुंबई सार्वजनिक विश्वस्त व्यवस्था अधिनियम १९५० के अंतर्गत पंजीकृत अस्पताल है जिसमे समाज के दुर्बल घटकों हेतु विशेष सहायता का प्रावधान है (देखें अधिसूचना {विधि व न्याय विभाग, मंत्रालय मुबई, दिनांक २७ सितम्बर २०१२, क्रमांक विकाक -२०१२ /प्र.क्र. ४०/ का. १५.} मैंने अस्पताल प्रशाशन से इस सम्बन्ध में बात कर मेरी पत्नी का इलाज इस विधान के अंतर्गत करने हेतु निवेदन किया व समाज सेवक योगेश पाटिल को आवश्यक आय प्रमाणपत्र व अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराये जो संलग्न है परन्तु इस अड़ियल व लोभी अस्पताल प्रशाशन ने मानवता को नजर अंदाज कर किसी भी हाल में सहायता ना करने का अपना रवैया बनाये रखा तब हमने हमारे दूसरे पत्र में इस की शिकायत मनपा आरोग्य अधिकारी श्री अ.रा. बामने, कार्यकारी आरोग्य अधिकारी, बृहन मुंबई महानगर पालिका, व मा. धर्मदाय आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य को इस बात की शिकायत की की सरकारी अधिसूचना व नियमों की अनदेखी कर जबरदस्त लूट मचाने वाले अंधे कारोबारी एसे अस्पतालों पर कठोर कार्यवाही करे जिन्होंने अपनी ओछी हरकतों से वैद्यकीय सम्मान को ठेस पहुंचाई है.
१७) परन्तु एक और एक आर्थिक परेशानी झेल रहे मेरे परिवार के सदस्यों की दयनीयता तथा दो माह से स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी झेलती मरीज के उपयुक्त व निर्बाध इलाज को लेकर हमारी अनेकों निवेदनो पर किसी भी सम्बंधित विभाग ने योग्य कार्यवाही करने की आवश्यकता नहीं समझी
१८) दिनांक १० अप्रेल को मा. धर्मादाय आयुक्त कार्यालय से संदीप शर्मा के पत्र के जवाब में कोकिलाबेन अस्पताल को एक पत्र भेजकर सम्बंधित मामले में खुलासा और दस्तावेज मांगे 7 जून को धर्मादाय आयुक्त ने इन सभी प्राप्त पत्रों की छायांकित प्रतिया संदीप शर्मा को भेजी जिसमे कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल ने सभी आरोपों का खंडन किया और ये कहा की हम मरीज का इलाज कर रहे है परन्तु गब्राज चौधरी पैसे नही भर रहे है इस लिए इस प्रकार के फिजूल आरोप अस्पताल व डाक्टरों पर लगा रहे है
२१) १७/०४/२०१४ को मैंने विधिवत डॉ अभिषेक श्रीवास्तव की शिकायत महाराष्ट्र मेडिकल काउन्सिल के फॉर्म ६२ द्वारा की जिसपर महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल ने कोई कार्यवाही नहीं की नाही ये जानने की कोशिश की की मरीज का इलाज सही प्रकार से हो रहा है अथवा नहीं केवल डॉ से खुलासा माँगा और जो भी खुलासा डॉ ने दिया वो उठाकर मुझे दे दिया क्या यही काम है दिनांक १७/०५/२०१४ को महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल ने कोकिला बेन अम्बानी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर और डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव को पत्र भेजकर मेरी शिकायत पर जवाब माँगा
२२) दिनांक २०/५/२०१४ को आरोग्य सेवा संचालनालय महाराष्ट्र राज्य द्वारा कार्यकारी आरोग्य अधिकारी, मनपा को पत्र भेजकर कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गई
२३) मई २०१४ में अस्पताल प्रशाशन और डॉक्टरों अभय कुमार ने मुझे बताया की आपकी पत्नी ने आवश्यक सुधार हो गया है दिमाग भी पूरी तरह काम कर रहा है अब हम इनका बॉन जिसे ३१/०१/२०१४ को ओपरेशन के बाद पेट के भीतर सुरक्षित रखा था उसे अब निकालकर वापस एक छोटी सी सर्जरी के द्वारा लगा देंगे और फिजियो थेरेपी और एक्सरसाइज कराएँगे और फिर कुछ ही दिनों में आपकी पत्नी घर जा सकेंगी कुल मिलाकर तीन महीने में मेरी पत्नी ठीक हो गई थी उसे बॉन लगाने के पहले मरीज को कभी भी वेंटिलेटर की आवश्यकता नहीं पड़ी और ना ही बॉन लगाने के बाद जरुरत पड़ी हमको बताया गया की बॉन लगा दिया गया है यही पर लापरवाही हुई और डाक्टरों ने लापरवाही करते हुए मरीज की जान की परवाह किये बिना गलत निर्णय लिए उसके बाद मरीज की स्थिति निरंतर गिरती गई और उसने धीरे धीरे रिस्पोंस देना बंद कर दिया, जिसपर मैंने चिंता व्यक्त की डॉक्टर ने जांच कर सिटी स्केन की रिपोर्ट के अनुसार मरीज के दिमाग में इन्फेक्शन हो गया जिसके बाद डाक्टरों ने १५ बीस दिनों तक इन्फेक्शन को कंट्रोल करने की कोशिश की पर उनसे इन्फेक्शन कंट्रोल नहीं हुआ तब मुझे कहा की दुबारा सर्जरी करनी होगी बॉन खराब हो गया (या इन्होने इन्फेक्टेड बोन लगाया या इनकी लापरवाही से बॉन में इन्फेक्शन हो गया ) इसके बाद सर्जरी करके वापस बॉन निकालकर फेक दिया और मरीज को आय सियु में शिफ्ट किया मुझे बताया गया की अब पुराना बॉन नहीं लग सकता जब माइंड ठीक होगा तब कृत्रिम (आर्टिफिशियल) बॉन लगाया जाएगा परन्तु आज तक मरीज की हालत में सुधार तो दूर उलटा स्थिति बाद से बदतर हो गई अब डॉ वत्सल कोठारी जो मज़बूरी में मरीज को देखना पड क्योंकि ब्रेन स्पेश्यालिस्ट डॉ अभिषेक और अभय कुमार अब मरीज को नहीं देखते वत्सल कोठारी कहते है की किसी ना किसी को तो मरीज को देखना है परन्तु वत्सल कोठारी क्रिटिकल केयर से सम्बंधित डॉ है अब उनका काम नहीं है पर फिर भी मजबूरन उनको मरीज को देखना पद रहा इसलिए मै देख रहा हूँ पिछले दो वर्षों से अधिक समय से मरीज को लगातार आय सियु में रखा गया है जबकि वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट इक्विपमेंट की जरुरत नहीं फिर भी उनको शिफ्ट नहीं किया गया मरीज का क्या इलाज हो रहा है इस बारे में हमसे बहुत सारे तथ्य छुपाये जा रहे है और
२४) दिनांक २५/०५/२०१४ को महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल के नोटिस के जवाब में डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने व कोकिलाबेन अस्पताल ने खुलासा दिया की वो पेशेंट का अच्छा इलाज कर रहे है और मै उनपर बेबुनियाद आरोप सिर्फ इस लिए लगा रहा हूँ की मुझे पैसे ना भरने पड़े जो बिलकुल गलत है
२६) १४ मार्च २०१५ तक अस्पताल का बिल ७५.९५ लाख तक हो गया था और सवा साल
२७) दिनांक २७/०५/२०१५ उसी दिन दिनांक २७/०५/२०१५ को मैंने महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल को कोकिलाबेन अस्पताल के डॉक्टर अभय कुमार व अभिषेक श्रीवास्तव की एवं एमएम अस्पताल के डॉ संदीप पाटिल की लिखित शिकायत व् फार्म ६२ महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल रुल १९६७ के अनुसार नोटराइज्ड शीकायत की की उसपर भी आज तक कोई कार्यवाही महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल की तरफ से नहीं हुई मात्र उनका खुलासा मुझे पकड़ा दिया जाता है इसके बाद दिनांक ४/६/५०१५ को डॉ संदीप पाटिल के विरुद्ध फार्म ६२ भरकर कार्यवाही की मांग की
३०) दिनांक २८/०९/२०१५ को मैंने श्री किशोर तावरी (अध्यक्ष) महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल को पत्र लिखकर मेरी उन शिकायतों के सम्बन्ध में जानकारी मागी जो मैंने फार्म ६२ के अंतर्गत मांगी थी उनका भी आज तक कोई जवाब नहीं मिला दिनांक १०/११/२०१५ को भी सुचना के अधिकार के मार्फ़त मैंने इन शिकायतों की स्थिति जानने का प्रयास किया पर कोई नतीजा नहीं निकला
३२) दिनांक १०/११/२०१५ को मैंने सुचना अधिकार अर्ज के माध्यम से आय आर डी ऐ से पुछा की उन्होंने ३/३/२०१४ के पत्र पर क्या कार्यवाही की उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया
३३) १०/११/२०१४ को मैंने लोक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय को दिए पत्र पर कार्यवाही का जवाब माँगा जिसपर मंत्रालय में कोई रिकोर्ड नहीं मिल रहा था
३४) १०/११/२०१५ को मैंने बीएमसी के स्वास्थय विभाग में भी सुचना अधिकार के मार्फ़त जानकारी मांगी की मेरे पत्र पर आपने क्या कार्यवाही की जिसपर दिनांक ३/१२/२०१५ के पत्र के माध्यम से बताया गया की आपका पत्र कार्यवाही हेतु उप स्वास्थ्य अधिकारी (संनिरिक्षण) को भेजा गया है पर आज तक उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं कि
३७) दिनांक १२/१२/२०१५ को संदीप शर्मा ने कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल को व महाराष्ट्र मेडिकल कौंसिल को पत्र लिखकर मरीज की वर्त्तमान स्थिति जानने की कोशिश की जिसपर दिनांक ७/०१/२०१६ को कोकिलाबेन अम्बानी अस्पताल द्वारा ९ पन्नो का दस्तावेज प्राप्त हुआ पर कोई रिपोर्ट इत्यादि नहीं दी
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