| Address: Lucknow, Uttar Pradesh |
माननीय महोदय,
विषय: एच.डी.एफ.सी. लाइफ द्वारा की गई धोखाधड़ी तथा आइ.आर.डी. ए. द्वारा उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही न किया जाना
पॉलिसी संख्या[protected]
उपरोक्त विषय मे निवेदन है कि मैंने दिनांक 30.03.2012 को एच.डी.एफ.सी. लाइफ की पॉलिसी संख्या 15094165 ली थी जिसमें 5 प्रीमियम का भुगतान किया जाना था तथा जिसकी परिपक्वता तिथि 30.03.2017 थी । पॉलिसी बॉन्ड के अनुसार 3 प्रीमियम के भुगतान के पश्चात पॉलिसी पेडअप स्टेटस में आ जानी थी तथा उसके बाद किसी प्रीमियम का भुगतान न होने की दशा में परिपक्वता तिथि पर पेडअप बीमाधन का भुगतान हो जाना था ।
2. पॉलिसी बॉन्ड के अनुसार बीमा की प्रीमियम राशि “रु 24619/- + प्रीमियम तिथि पर देय कर” रहनी थी । कोई अधिक अदा की गयी राशि बिना बीमारशि में जुड़े, वैसे की वैसी वापस हो जानी थी। प्रथम प्रीमियम हेतु मुझसे रु 25000/- का चेक लिया गया जिसके पश्चात मुझे पॉलिसी दी गई (कोई अलग प्रीमियम रसीद नहीं डी गई), जिसमें रु 24619/- पॉलिसी बीमाधन हेतु प्रीमियम दिखाया गया तथा शेष राशि को करों में समायोजित दिखा दिया गया बिना यह बताए कि कर की दर क्या थी और किस हिसाब से सारा बचा धन कर में समायोजित हो गया । मुझे लगा कि राउंड ऑफ करने के उद्येश्य से पूरा 25000/- लिया गया है तथा अतिरिक्त राशि तो बीमाधन के साथ अलग से मिल ही जाएगी अतः मैंने कोई प्रतिवाद नहीं किया ।
3. एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस द्वारा अगले वर्ष मुझे वार्षिक प्रीमियम नोटिस नहीं भेजा गया जिससे मैं जान पाती कि मुझे कर मिलाकर कुल कितना प्रीमियम अदा करना है । अतः अगले वर्ष 2013 में मैंने रु 25000/- पुनः अदा कर दिये इस आशय से कि प्रीमियम रसीद आने पर वस्तुस्थिति पता चल जाएगी और जो भी अधिक राशि होगी वह तो बीमाधान के साथ मुझे अलग से मिल ही जाएगी; किन्तु इस प्रीमियम की भी कोई रसीद मुझे प्राप्त नहीं हुई । मैंने एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस से इस हेतु संपर्क किया किन्तु कोई सफलता नहीं मिली, मुझे कहा गया कि आपने प्रीमियम ऑनलाइन दिया था तो उसी से रसीद निकलनी चाहिए थी, यद्यपि मुझे आश्वस्त किया गया कि मेरा प्रीमियम पॉलिसी में जमा दिख रहा है।
4. वर्ष 2014 में फिर मैंने प्रीमियम नोटिस का इंतेजार इस आशय से किया कि प्रीमियम डिमांड आने पर ही मैं सही सही प्रीमियम जमा करूंगी । किन्तु प्रीमियम तिथि बीत जाने पर भी जब प्रीमियम डिमांड नहीं मिली तो मैंने नेट पर एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस की साइट के अनुसार ही भुगतान का निर्णय लिया । दिनांक 19.06.2014 को पॉलिसी नं डालने पर रु 25000/- का प्रीमियम ड्यू प्रदर्शित हो रहा था अतः मैंने रु 25000/- अदा कर दिये इस विश्वास के साथ कि लेट फीस यदि कोई है तो इसी में शामिल है ।
5. अगले वर्ष 2015 में पुनः मैंने प्रीमियम डिमांड का इंतज़ार किया और कोई डिमांड न आने पर नेट द्वारा ही भुगतान करने का प्रयास किया, किन्तु इस बार एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस की साइट पर लिखकर आ रहा था की जिन पोलिसियों की प्रीमियम देयता तिथि निकल गयी है उनका भुगतान नेट द्वारा नहीं किया जा सकता उसके लिए एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस की शाखा में ही जाना पड़ेगा । अतः मैंने एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस में संपर्क कर प्रीमियम तथा मेरी पॉलिसी में वेस्टेड बोनस भी जानना चाहा क्योंकि पॉलिसी शर्तों के अनुसार minimum 3% बोनस के अतिरिक्त वेस्टेड बोनस (profits of the participating policyholders funds of HDFC standard life insurance company limited + reversionory bonus + interim bonus + terminal bonus) मिलना था जो समय समय पर घोषित किया जाना था जिसकी घोषणा की कोई जानकारी मुझे एच.डी.एफ.सी. लाइफ द्वारा कभी भी नहीं दी गई थी। एच.डी.एफ.सी. लाइफ के कर्मचारी मुझे पॉलिसी के अंतर्गत घोषित वेस्टेड बोनस बताने में असमर्थ रहे तथा मुझसे कहा गया कि इसकी जानकारी केवल पॉलिसी परिपक्वता पर ही दी जाएगी ।
उपरोक्त अपारदर्शिता के कारण मैंने आगे के प्रीमियम अदा न करके पॉलिसी को पेडअप हो जाने देने का फैसला किया ।
6. फरवरी 2017 में मैंने एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस की मलरोड लखनऊ शाखा में अपनी पॉलिसी के फ़ाइनल भुगतान के बाबत अपने बैंक खाते का विवरण देने हेतु संपर्क किया तो मुझे शाखा द्वारा सूचित किया गया कि “मेरी पॉलिसी के अंतर्गत केवल 2 प्रेमियम 2012 & 2013 वर्षों के लिए दिये गए हैं इसलिए मेरी पॉलिसी लैप्स कर गयी है, इसमें कोई भी धनराशि देय नहीं है, क्योंकि प्रारम्भिक 3 वर्ष के पेमियम (Premium) अदा न होने पर पॉलिसी लैप्स हो जाती है । मेरे बार बार प्रतिवाद करने के बावजूद कि पॉलिसी में 3 प्रेमियम अदा किए गए हैं और पॉलिसी पेड़अप स्टेटस में होनी चाहिए, शाखा ने मेरी एक न सुनी और मुझे वहाँ से भगा दिया ।
7. जब मैंने पुनः शाखा में जाकर अपने बैंक खाते का पुराना विवरण सबूत के रूप में दिया तो शाखा ने तुरंत ही कहा कि यह पैसा आपकी पॉलिसी में आया है पर हमारे सस्पेन्स खाते में पड़ा है। यह अचंभित करने वाली बात है कि 2 मिनट से भी कम समय में जो राशि पकड़ में आ गयी वो पहले क्यों नहीं मिल रही थी, स्पष्ट है मेरे पास सबूत न होने कि दशा में यह कंपनी मेरा पैसा हड़प जाती । शाखा द्वारा मुझे कहा गया कि चूंकि मेरा प्रीमियम तिथि निकल जाने के बाद जमा किया गया है अतः उसे पॉलिसी में समायोजित नहीं किया जा सकता इसीलिए उसे सस्पेंस में डाला गया है, इसके लिए मैंने निम्नलिखित प्रतिवाद किए –
i) मेरा प्रीमियम अविलंब मेरी पॉलिसी में एडजस्ट किया जाना चाहिए। अगर प्रीमियम सही नहीं था तो एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस ने उसे स्वीकृत कैसे किया, तुरंत उसी खाते में वापस क्यों नहीं किया जिससे प्रीमियम अदा किया गया था ।
ii) सस्पेन्स खाते में 3 साल तक किसी राशि को डाले रखने का क्या औचित्य है । एक निश्चित समयावधि (अधिकतम 1-2 माह) में वापस क्यों नहीं किया गया?
iii) क्या पिछले 3 वर्षों में एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस का ऑडिट नहीं हुआ, ऑडिट में सस्पेन्स खातों में पड़ी ऐसी सभी राशियों को संज्ञान में लेकर क्या कार्यवाही की गई ?
iv) मेरे द्वारा 2014 में अदा किए गए प्रीमियम का बाइफर्केशन क्या है तथा पॉलिसी प्रीमियम के अतिरिक्त बची राशि को कहाँ समायोजित किया गया?
v) यदि प्रीमियम लेट होने कि वजह से कोई लेट फीस देय थी तो मेरे द्वारा प्रीमियम भुगतान के तुरंत बाद मुझे सूचित क्यों नहीं किया गया जिससे मैं उसका भुगतान कर पॉलिसी को रेगुलर कर पाती
उपरोक्त के जवाब में शाखा में मुझसे कहा कि वे इसमें कुछ नहीं कर सकते, मुझे उनके कार्पोरेट सेंटर से बात करनी होगी । कारपोरेट सेंटर का कांटैक्ट विवरण मांगने पर कहा गया कि मैं नेट पर ढूंढ लूँ।
8. नेट द्वारा मैंने एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस की ग्राहक प्रतिवाद अधिकारी Babita Arvindakshan की मेल आइ. डी. ढूंढकर अपनी प्रतिवाद मेल भेजी, जिसकी पावती मुझे दिनांक 8/3/2017 को complaint no.[protected] इस आश्वासन के साथ मिली कि मेरे प्रकरण पर विचार कर 15 दिन के अंदर निस्तारण कर दिया जाएगा । परंतु कुछ और समय लगेगा कहकर मुझे कई बार टाला गया, अंत में मेरे द्वारा आइ.आर.डी.ए. में शिकायत करने की बात कहने पर उन्होने कहा कुछ और समय दीजिये हम पुनर्विचार कर रहे हैं ।
9. इसके बाद मुझपर बार बार दबाव बने गया कि मैं वर्ष 2014, 2015 तथा 2016 हेतु रु 75000/- प्रीमियम + लेट फीस + उक्त राशि पर ब्याज जमा कर दूँ तो मेरी पॉलिसी रिवाइव कर दी जाएगी । मुझे समझ नहीं आ रहा कि वर्ष 2014 का प्रीमियम ट्रेस हो जाने पर भी वो किस प्रकार बकाया राशि में 2014 का रु 25000/- तथा उस पर ब्याज भी जोड़कर मांग रहे थे और अचानक पॉलिसी रेवाइवल कि बात कहाँ से आ गई जबकि इससे पहले एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस द्वारा मुझे कभी पॉलिसी लैप्स होने की सूचना नहीं दी गई थी न ही रेवाइवल का कोई ऑफर दिया गया था । मुझे समझ आ गाय कि वे मुझे मूर्ख बानकर ब्याज के नाम पर मोटी रकम ऐंठना चाहते हैं और मेरे द्वारा 2014 में जमा किए गए प्रीमियम को अतिरिक्त राशि कि तरह बाद में बीमाधन के साथ वापस कर देंगे । अतः मैंने उन्हें कहा कि मुझे पॉलिसी रेवाइव करनी ही नहीं है सो वे मुझ पर बार बार दबाव बनाना छोड़ दें । ज्यादा से ज्यादा for 2014 premium अंतिम देय तिथि 14.04.2014 (प्रीमियम तिथि 30.03.2014 + 14 दिन ग्रेस पीरियड) से वास्तविक अदायगी तिथि 19.06.2014 तक अर्थात 35 दिन का रु 24619/- पर ब्याज मुझसे एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस कार्पोराशन ले सकता है।
10. कई बार फोन पर वार्तालाप के बाद दिनांक 22/03/2017 को एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस द्वारा मुझे मेल भेजी गई की 19.06.2014 को मेरे द्वारा अदा किए गए प्रीमियम को पॉलिसी में एडजस्ट कर लिया गया है अतः अब मुझे कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए । तदनुसार मुझे दिनांक 30.03.2017 को पेडअप बीमाधन का भुगतान हो जाना चाहिए था । अतः मैंने एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस की मालरोड लखनऊ शाखा में अपने बैंक खाते के विवरण देने हेतु संपर्क किया ताकि समय से मेरा भुगतान एन.ई.एफ.टी. द्वारा हो सके । उन्होने कहा की पॉलिसी तो लैप्स दिख रही है अतः बैंक डिटेल चढ़ाने नहीं देगा, फिर मेरे द्वारा उन्हीं के यहाँ की मेल दिखाने पर उन्होने कहा कि अभी सिस्टम पर अपडेट नहीं हो पाया होगा आप जाएँ, आपके उसी खाते में भुगतान कर दिया जाएगा जिससे प्रीमियम अदा किए गए हैं उसके लिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है । किन्तु मेरे खाते में परिपक्वता तिथि के काफी बाद तक पैसा न आने पर मैं 20.04.2017 को दोबारा शाखा गई तो मुझे बताया गया कि मुझे चेक से भुगतान किया गया है और संभवतः चेक मार्ग में होगी जो पॉलिसी में दिये गए मेरे पते पर पहुँच जाएगी । मेरे पूछने पर, शाखा द्वारा भुगतान राशि बताने में असमर्थता जाहीर कर दी गई ।
11. मुझे दिनांक 10/5/2017 को दो चेकें 534364 रु 2045.17/- तथा 534363 रु 25000/- dt. 23/03/2017 कि प्राप्त हुईं । मैं समझ पाने में असमर्थ थी कि रु 75000/- प्रीमियम जमा करने के बाद उसपर बोनस जोड़कर रु 27045/- का भुगतान किस प्रकार बन सकता है । किन्तु उन चेकों की तिथि भी न निकल जाए अतः मैंने उनका भुगतान अपने खाते में लेकर शेष राशि के लिए संघर्ष करने का फैसला किया । दिनांक 19/5/2017 को अपने खाते में मैंने लगाई रु 2045.17/- का भुगतान आया जबकि बैंक द्वारा सूचित किया गया कि रु 25000/- की चेक का भुगतान आदाता (एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस) द्वारा बिना कारण बताए रोक दिया गया है । मुझे लगा की कंपनी अपनी त्रुटि सुधार कर रही है और मुझे सही धनराशि की चेक पुनः निर्गत की जाएगी । पर बहुत दिन तक इंतेजार करने पर भी कोई भुगतान नहीं आया और मेरे द्वारा फोन करने पर कहा गया कि मैं 2015 तथा 2016 के प्रीमियम ब्याज सहित जमा कर दूँ तो पॉलिसी रेवाइव कर दी जाएगी । मैंने पूछा कि पॉलिसी की समयावधि पूर्ण हो चुकी अब रिवाइवल की बात कहाँ से आती है आप मुझे पैडअप पूर्णवधि भुगतान अविलंब करें तो उनके द्वारा बताया गया कि 2015 तथा 2016 के प्रीमियम विलंबित ब्याज सहित मुझे जमा करने ही होंगे तभी भुगतान होगा ।
12. हारकर दिनांक 24/05/2017 को मैंने आइ.आर.डी.ए. को मेल द्वारा शिकायत की तथा उसकी प्रति एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस को भी दी । जिसकी पावती आइ.आर.डी.ए. ने दिनांक 29/5/2017 को grievance application No[protected] तथा एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस ने दिनांक 24/05/2017 को भेजी । किन्तु किसी के भी द्वारा कोई लिखित कार्यवाही नहीं की गई । केवल एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस द्वारा मुझे बार बार फोन पर आश्वासन दिया जाता है कि मेरी पॉलिसी भुगतान करी जा रही है लेकिन फिर कहा जाता है कि मुझे 2015 तथा 2016 के प्रीमियम विलंबित ब्याज सहित जमा करने हैं । स्पष्ट है कि 2014 का प्रीमियम तो उन्होने पॉलिसी में एडजस्ट कर लिया पर उसके अनुसार परिपक्वता राशि नहीं दी तथा अब बार बार फोन करके मुझे भुलावे में रखना चाहता है ताकि मैं समय से अन्य फोरम पर शिकायत भी न करूँ । मैंने दिनांक 30/6/2017 & 17/07/2017 को आइ.आर.डी.ए. को 2 अनुस्मारक मेल भेजा जिसका मुझे कोई उत्तर नहीं मिला है ।
13. एक बीमाधरक अपने बाद अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा या फिर भविष्य में अपनी जरूरतों के लिए बचत हेतु बीमा लेता है । उपरोक्त पॉलिसी में मेरे दोनों उद्येश्य एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस की बेईमानी की वजह से अपूर्ण रहे –
i) यदि मेरी मृत्यु हो जाती तो सबूत के अभाव में मेरे नामिती को एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस यह कह कर धता बता देता कि केवल 2 प्रीमियम जमा किए गए थे अतः पॉलिसी लैप्स हो गई और कोई पैसा देय नहीं है ।
ii) जिस समय मुझे पैसा मिलना था उसके अनुसार मैंने अपने कार्य निश्चित किए हुए थे जो समय से पैसा न मिले के कारण पूरे नहीं हो सके ।
बीमा का मुख्य उद्द्येष्य होता है “ समय पर बीमाधरक (अथवा उसके मृत्यु आश्रित ) को उचित रकम उपलब्ध कराना । चूंकि एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस ने इन दोनों को पूर्णतः नकारने का प्रयास किया है अतः मेरा आपसे निम्नलिखित अनुरोध है –
1) चूंकि बीमा कंपनी ने पॉलिसी की शर्तों को किसी भी स्तर पर पूरा नहीं किया अतः पॉलिसी को आदि से निरस्त (Null & Void) मानते हुए मेरे द्वारा दी गई पूरी प्रीमियम राशि रु 75000/- को प्रत्येक किश्त पर उसकी भुगतान तिथि से कंपनी द्वारा वापसी की तिथि तक औसत बाज़ार ब्याज दर (यथा RD/FD पर 10%) से ब्याज लगाकर तथा उचित पेनाल्टी ( जो भी आप द्वारा सुनिश्चित की जाए ) के साथ मुझे भुगतान दिलाया जाय ।
2) एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस को आदेश दिया जाए कि वह सभी अदा किए गए प्रीमियमों के लिए शत प्रतिशत रसीदें निर्गत किया करे तथा प्रीमियम स्वीकृत न होने पर आविलम्ब पालिसीधारकों को सूचित किया करे ।
3) एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस के तथाकथित सुस्पेंस खातों का भारत सरकार द्वारा निरीक्षण कराया जाय तथा उचित कार्यवाही की जाय ताकि यह कंपनी अपने पोलिसिधारकों की मेहनत की कमाई हड़प न सके ।
4) आइ.आर.डी.ए. से पूछा जाय कि उन्होने मेरी शिकायत पर क्या कार्यवाही की तथा उसकी सूचना शिकायतकर्ता अर्थात मुझे क्यों नहीं दी गई ।
मुझे आशा है कि आप धोखेबाज कंपनी एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरेशन तथा लापरवाह संस्था आइ.आर.डी.ए. के विरुद्ध शीघ्र कार्यवाही करेंगे ।
शीघ्र न्याय की आशा में,
भव्दीया
( आराधना तिवारी )
मो. नं. [protected]
स्थाई पता 16/196 बी, गांधी नगर, कानपुर ।
वर्तमान पता 5/556 विराम खंड, गोमती नगर, लखनऊ ।
पोलिसिधारक एच.डी.एफ.सी. लाइफ इंश्योरेंस कार्पोराशन की पॉलिसी संख्या 15094165.
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