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श्री मान
मुख्य grahak sewa adhikari
सेवा में
श्री मान मै प्रदीप कुमार सिंह मेरा क्रेडिट कार्ड न[protected] है मुझे hdfc बैंक वाले काफी दिनों से परेशान करने में लगे हैं और मेरी हालात ऐसे नहीं हैं की मैं आपने क्रेडिट कार्ड की पेमेंट कर पाऊ हर महीने धमकी दे दे कर पेमेंट मग्वाते हैं मैंने किसी को पासे आपने कार्ड से दे दिए थे और जिस्को जिसको दिए थे वो कुछ समय पहले दियालिया हो गए हैं और मेरी इनकम कुल 8000 हैं जिसमे 8 सदस्य हैं जिनका देखभाल मेरे जीमे हैं मैं हर बार धमकी मिलती हैं आपके बैंक से की आप पेमेंट नहीं दे रहे हैं तो मैं आपके मालिक से बात करवा दो वो आपको पेमेंट देंगे अब आप बताये ये कौन सा रूल हैं क्या आपके बैंक का यही रिलेशन हैं की ग्राहकों को धमकी देकर उनसे पैसे निकलवाने का मेरे हिसाब से आप लोगो का यही नियम ही हैं खैर मेरा तो हालत ही ऐसे हैं की मैं कुछ कर नहीं प् रहा हु पर अगर मेरे आपके हालत होते तो आप क्या करते मुझे ऐसे बैंक से क्या रिलेशन की उम्मीद की जाये जो आपना हर काम धामकी देकर निकलते हैं आपके hdfc राजौरी गार्डन शाखा के लोगो को इसी बात की शिक्षा दी जाती हैं क्या की गरीब इन्सान को सताओ मेरे इस खाते को बंद कर दिया जाये आपलोगों को गरीबो को सताने में कभी मजा मिलता हैं न पहले तो आप बैंक के उन लोगो को हटाये जो हम जैसे ग्राहकों को परेशान करते हैं और परेशान करने में आपकी hdfc राजौरी गार्डन शाखा के अनुज कुमार , राम , और इस समय जिन्होंने आज धमकी दी हैं मुझे आपने मालिक से बात करने की वो हैं जायद और उनका भेजा हुआ अशोक कुमार आएडी संख 5268 जो फिन' कॉर्प से आये थे अगर मेरे पास पैसे होते तो मैं अब तक जमा कर चूका होता शायद आपको यकीं न हो तो मेरे पास आकर देख सकते हैं नहीं तो मैं भी उनके खिलाफ जा सकता हु और वो भी धमकी देने के पुलिस सहयता तो मिल सकती हैं आपसे विनती हैं की इन लोगो के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये और आगे से किसी भी ग्राहक को परेशां न न करने की चेतावनी दी जाये आपसे गुजारिश हैं की आप इन लोगो को अच्छी सलाह देंगे मेरी तो जिन्दगी खराब हो हैं पर मैं और किसी की जिन्दगी नहीं खराब नहीं करना चाहता अगर आप एक अच्छे इन्सान होंगे तो ग्राहकों का दुःख जरूर समझेगे और आगे से किसी को ऐसी परेशानी से नहीं जूझना पड़े और इसकी कॉपी मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस , नेशनल हुमैनं राइट कमिशन और ग्राहक सेवा केंद्र को भेज रहे की मुझे इस से परेशान किया जा रहा हैं शायद मुझे बैंक के अभद्र पूर्ण बयव्हार से मैं असंतुस्ट हो चूका हु कोई तो सुनेगा अगर नहीं सुना किसी तो फिर फिर सुप्रीम कोर्ट जिन्दा बाद हैं
धन्यवाद
प्रदीप कुमार सिंह
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