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अगर मै अपनी या अपने जैसो कि बात करूँ तो हम लोगो की आर्थिक स्थिति बहुत हद तक नाजुक हो चुकी है।
अप्रैल २०२० में अपनी नौकरी से निकाल दिया गया था बेरोजगार होने की वजह से मेरे घर की स्थिति काफी ख़राब हो गयी। सितम्बर 2020 से मुझे दोबारा नौकरी मिली लेकिन अक्टूबर 2020 में मै कोरोना नामक महामारी से संक्रमित हो गया जिसकी वजह से मै पुनः बेरोजगार हो गया। जैसे तैसे मै इस बीमारी से निकला और अपने घर की स्थिति को सँभालने लगा। लेकिन एक बार फिर कोरोना महामारी की लहर में मेरे घर की आर्थिक स्थिति नाजुक दौर में पहुँच गयी है।
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि आपका मेरी कहानी से क्या सम्बन्ध है ?
तो महोदय आपका मेरे से संबंध कुछ इस प्रकार से है कि मेरे दो बेटे क्रमश 8 क्लास और 4 क्लास में सेंट जोन्स सीनियर एकडेमी, मेरठ में पढ़ते है।
पिछले साल आप और आपके स्कूल वालो ने हम लोगो पर बिलकुल भी दया नहीं दिखाई, और बिना पढ़ाई लिखाई के पूरे साल की स्कूल फीस हम लोगो से धमकी देकर वसूली। स्कूल की तरफ से धमकी कुछ इस प्रकार से थी कि अगर आप लोगो ने फीस नहीं दी तो आपके बच्चे को अगली क्लास में नहीं भेजेंगे या फिर हम लोग आपके बच्चे का नाम स्कूल से काट देंगे और उसका ट्रांसफर सर्टिफिकेट भी नहीं देंगे।
अब आप ज्यादा नहीं तो थोड़ा तो सोचिये कि इस मुसीबत भरे हालात में मैं कहाँ से दोनों बच्चो की फीस जुटाता ? मैंने कई बार अपनी स्थिति स्कूल प्रबंधक को समझाई, लेकिन उनका दिल पत्थर का हो चुका था और उन्होंने मेरी हर विनती को अनसुना कर दिया। फिर मैंने अपने बच्चों का भविष्य का सोच कर अपने दिल पर पत्थर रखकर अपनी बीवी के जेवर बेचकर आपके स्कूल की फीस 70000 रूपये जमा करी और तब जाकर स्कूल वालो ने मेरे बच्चों को अगली क्लास में ट्रांसफर किया।
लेकिन अब फिर से वही स्थिति मेरे साथ दोबारा आ गयी है। आपका स्कूल अब एक बार फिर हमारे पर स्कूल फीस को देने का दबाव बना रहा है।
अब हम कहाँ से लाये आपके लिए स्कूल फीस ? इस समय हम बेरोजगार हैं। और ये भी पता नहीं इस बीमारी में हम या आप जिन्दा रहेंगे या नहीं ?
अभी तक तो आप लोगो ने पब्लिक स्कूल पर कोई लगाम नहीं कसी ? और आप यह क्यों करें ? अगर आप लोग स्कूलों को उनकी मनमानी से रोकेंगे तो आपकी कमाई कैसे होगी ?
एक मध्यम आदमी की परेशानी है आपका स्कूल के प्रति सॉफ्ट नेचर।
आपकी दया दृष्टि से हर साल स्कूल वाले हर क्लास का पाठ्यक्रम बदल देते है ताकि पुराने पाठ्यक्रम से बच्चे पढ़ ना सके और नयी किताबों का कमीशन आपको और स्कूल को मिल सके। आपके द्वारा लगाई गयी NCERT किताबें बस दो या तीन लगाकर आपके और सरकार के आदेश का पालन हो जाता है।
हर साल बिल्डिंग फण्ड जोड़ कर फीस वसूली जाती है। जैसे कि बच्चों से स्कूल लोन वसूला जा रहा हो !
पढ़ाई ऐसे होती है कि हर हाल में बच्चों को टूशन लगानी पड़ती हैं।
बस नाम है स्कूल का और बस कुछ नहीं ?
ऐसा लगता है कि हम लोग अपनी बच्चों को अपनी मर्ज़ी से स्कूल नहीं कसाई के पास भेज रहें हैं।
ऐसा लगता है कि अब आपका और आपके स्कूल का यही नारा है कि चाहे आप रहें या नहीं रहे, लेकिन हमारे स्कूल का पेट भरते रहे।
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