Paying Guest — public interst litigation

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Paying-guest problems - स्टूडेंट्स परेशान - वोटिंग समय की डिमांड्स:
https://youtu.be/4is65Qufcu4
आज का युवा जो बाहर आकर पी.जी. या रेंटल रूम, हॉस्टल में रहते -बाहर करिअर बनाने हेतु आए वो युवा क्या-क्या परेशानियाँ सहते :-
— कोई भी फैसिलिटी का रिटन में न होना, नहीं कोई भी किसी भी प्रकार का लीगल एग्रीमेंट का एग्रीमेंट रिटेन में नही होता जिससे बाद में वो युवा -लड़के, लड़कियां सभी को नहीं कोई सिक्योरिटी, सेफ्टी मिलती और ओनर अपनी मर्जी से उन युवाओं को अपनी मर्जी से आर्थिक, मानसिक और भी कई तरीके से एक्सप्लॉइट, हररेशमेंट भी करते है जोकि एक बड़ा क्राइम है जिसका बच्चा खुल कर विरोध भी नहीं कर पाते क्यूंकि कानून के पहरेदार पुलिस खुद इस केस को बहुत बतमीजी से दबाते है
ये जो पंखा, गद्दे, तंग रूम और गंदगी देख रहे वास्तविकता में ऐसे रूम दिए जाते, जबकि ऊपर वाले रूम जोकि काफी सुंदर हैं उनका मात्र वो रेंट देने के समय विज्ञापन के तौर पर दिखाए जाते | यदि विज्ञापन वाले रूम की डिमांड करे तो हमे ही भला बुरा बोलै जाता लेकिन सब तरफ चंडीगढ़ ट्राइसिटी में ही ये होता आरहा लेकिन आवाज़ कोई आर्थिक रूप से कमजोर कोई शारीरिक कोई सहायता न मिलने से तो कोई अपने अधिकारों को समझ न होने से ये केस युंह ही दबा दिए जाते
आप खुद यदि पेइंग -गेस्ट के रूम के लिए कमरे रूम देखे तो कोई भी
एफएसएसएआई,
एनओसी,
ट्रेड लाइसेंस,
ऍफ़.एस.एस.ए.आई. लाइसेंस
से प्रमाणित तक नहीं होता और अवैध तरिके से लोग घर में बिना फसिलटी दिए और बिना रेजिस्टर्ड हुए मनमाने ढंग से लोगो को परेशान करते है और मनमाने रेट पर पेइंग-गेस्ट और रूम चला दिए जाते जिसमे एक लिए एक दिन एक साल किसी भी अवधि में दिए जाते लेकिन जिम्मेदारी ओनर की कुछ नहीं होती, पैसे ले लिए जाते जिसका सिर्फ खामियाजा बाहर रहते जन लोग ही भुगतान करते तकलीफे सहकर और कई जगह तो ओनर तक का नहीं पता चल पता क्यूंकि रेंट एग्रीमेंट सिस्टम और उसमे रूम्स और ओनर्स की सही तस्वीर ना होने से 420 फ्रॉड करते ओनर का भी कुछ भी नहीं बिगड़ता और एक ही रूम जोकि सिर्फ एक लड़की लड़के के रहने लायक है उस बाथरूम जैसे रूम में अधिकतम मुल्य के साथ मुँह-मांगे मूल्य पर ओनर एक्सप्लोइटेशन व्यवहार करते जिसका कंजूमर बड़ी बेदर्दी के साथ साथ बिना सहयोग होने से सहने को मजबूर अपना करियर खराब ना होने के डर पेरेंट्स नहीं कर पाते क्यूंकि पुरे भारत में ही ये होता आ रहा है
ये पेइंग-गेस्ट में बिना हमे बिना डाक्यूमेंट्स दिया बिना हमारे साथ क्या क्या क्राइम होता है हमे बाहर रहते हुए एक ऐसे ओनर पर विश्वास करना पड़ता जिसे हम जानते नहीं कल हमारी सिक्योरिटी को कितना खतरा है विशेष कर लड़कियों को
और ये बिना रजिस्टर्ड, अवैध और बिना हमारी सब फसिलटी, सुविधाएं, मुल्य डाक्यूमेंट्स में लिखे हुए दिए नहीं जाता
परिणाम - 1. आर्थिक शोषण
2. मानसिक शोषण
3. सेफ्टी को लेकर चिंतनीय भाव
4. किसी भी बुरी घटना को बुलाना पर लिखित में प्रूव न होने से आपके पास आपका सब स्थिति को चुप होकर सहना
5. सामान का बार बार खराब होना बार बार ऐसी पेइंग गेस्ट प्रोबल्म सफर करने से क्यूंकि पेइंग- गेस्ट चेंज करो तो बिगड़ा किसका?ओनर का तो बिलकुल नहीं क्यूंकि आपको ही बार -बार रातो को रूम ढूंढ़ना पड़ता रिक्शा के खर्च जोकि 500 rs.आ जाते है चेंज करने में
6. चेंज करते वक्त आपको शारीरिक रूप से काफी परिश्रम करना पड़ता और आपको इतना सहन करना पड़ा आपको इन्साफ कितना मिला कुछ भी नहीं क्यों कोई स्ट्रिक्ट कानून का अभाव
7. करियर खराब और रैगिंग जैसे सीरियस क्राइम को भी ओनर द्वारा दबाया जाता क्रूएलिटी के साथ |
8. क्या जो बाहर रहने-पड़ने आते क्या वो ये सब शोषण सहने के लिए ही इतना हर चीज पर व्यय करता इतना परिणाम फिर भी हर दुःख का भुगतान कारी
9. माँ-बाप से लेकर हर वो रिश्ता शोषण का शिकार होता क्यूंकि भावनात्मक रूप से हर कोई इस सब दुखो को सहने के लिए मजबूर होता
कई युवा को तो ये भी अवेयरनेस नहीं होता की -उनका हररेशमेंट, एक्सप्लोइटेशन हो रहा है क्यूंकि उनसेमुँह-मांगे रेंट ले कर भी सुविधाएं पूरी न देकर बल्कि ये शब्द कहे जाते की होटल में रहलो ज्यादा ही फैसिलिटी पूरी समय पर चाहिए यंहा तो अवैध दांग से हम ऐसा ही चलाते आये है हमेशा से ही -फिर कैसी कंजूमर सुरक्षा का हम युवाओ से वादा |
1. रिटेन में हर फैसिलिटी, रेंट मूल्य का रिटन में एग्रीमेंट नहीं होने से वह ओनर ज्यादातर पूरी फैसिलिटी नहीं देते जिस पर हर समय युवा मजबूरियों में जकड़ा हुआ चुप रहना ही जरूरी समझता और सब सहने को हमेशा इस डिजिटल युग में भी परेशानी में घिरा रहता प्रश्न ये है की कैसा अपना डिजिटल भारत?
2. मेन्टेन्स टाइम -टाइम पर नहीं करवाते जिससे रह रहे युवाओ का महंगा सामान खराब होता हैं अक्सर और यदि वह विरोध करे तो ओनर उसी दिन निकलने तक की धमकी भी देना या परेशान कर उसको छोड़ने के लिए मजबूर कर देता हैं और बाद में उस युवा को नए ओनर के मुँह-मांगे रेंटमूल्य के अनुसार रेंट देना पड़ता अर्थात बिना गलती के भी वह सभी एक्सप्लोइटेशन सहन करता रहना पड़ता हैं |
3. यदि ये युवा ज्यादा विरोध करे तो ओनर वंहा रह रहे रेंट पर युवाओ को उन्हें परेशान करने को बोलता जो उनको विरोध कर रही पार्टी से झुकने को मजबूर करते यदि वे ऐसा नहीं करते तो उनको भी निकलने की धमकियां औरपरेशानियां दी जाती फिर वे भी सब सहने और उनके कुकर्म में उनका साथ ही देना पड़ता ताकि ओनर पर कोई सवाल न उठे |
4. ये रेंट रूम ज्यादातर गंदे, नहीं कोई सेनेटरी सिस्टम वंहा होता -पर मजबूर युवाओ को मजूबरी में इन्ही बदबूदार रूम, हॉस्टल में रहना पड़ता क्यूंकि इन पर कोई सख्त कारवाही नहीं होती पुलिसकोई भी कारवाई नहीं करती, कोर्ट में वो जा नही सकते क्यूंकि कुछ भी नहीं रिटेन एग्रीमेंट नहीं होता, सोचो उन यूवाओ के शोषण की हालत?...
अर्थात इसी तरह एक्सप्लोइटेशन सहो नहीं तो हार मान कर परेशानियों से जूझकर वापस घर चले जाओ |
5. ज्यादातर पेशानियों से तंग आये रूम चेंज करने से उनका काफी महंगा सामन बेवजह ही खराब हो जाता है जिसका जिम्मेदार कौन -क्या वो युवा या शोषण करता वो ओनर?
6. एडवांस में बिना रिटेन एग्रीमेंट के रूम रेंट ले लिया जाते रेंट पर, बाद में जिम्मेदारियों के नाम पर कोई उल्टा सीधा बहाना बनाकर ये ओनर अपने को बचाने की कोशिश करते या टाइम से पहले उनको निकाल देते या फिर दादागिरी से बिना वजह उनको तंग करते और इसको हम कानूनी रूप से उसको रिफंड, कंपेनसेशशन, पेनल्टी के लिए मांग भी नहीं कर पाते और इस तरह बिगड़ता सिर्फ युवाओ का जो बाहर आकर पढ़ने -रहने आते |
क्या ये दर्द सहने ही वो युवा का अधिकार है जो अपने सपने लेकर जिंदगी बनाने आता है।
7. हमसे आधार-कार्ड और प्रूव भी लिए जाते पर इन ओनर की दादागिरी और एक्सप्लोइटेशन पर हमे किसी भी सेफ्टी, सुरक्षा के लिए चाहे वो ओनर लड़कियों को सताए या हरेश करे पर जब वो पुलिस में कम्प्लेन के लिए जाती तो रिटेन एग्रीमेंट न होने से उनका केस दब जाता है | इन सबका जिम्मेदार कौन- वो युवा जो मांग करते रिटेन में सभी फैसिलिटी और सेफ्टी की -पर उनको जवाब मिलता ऐसा कुछ नही होता लेना हो तो लो नहीं तो हम महंगे मुल्य के साथ हम किसी और दे सकते है |
ऐसे युवाओ को कौन झेलेगा -ओनर की वाणी | हर जगह ये लापरवाही देख मजबूरी में वो हमेशा एक्सप्लोइटेशन का शिकार होने के लिए मजबूर होता है क्यूंकि क्या करे वो युवा जब कोई कानूनी और प्रशासन द्वारा इस पर कोई सख्त से सख्त कानून बना ही नहीं है सोचो क्या विकल्प रह गया गया हमारे पास एक्सप्लोइटेशन सहने के अलावा |
8. अधिकतर इन केस में ये एक्सप्लोइटेशन करने वाले रूममेंट की लड़ाई का मुद्दा बनाकर पलायन कर देते क्यूंकि वे एक पक्ष मजबूत बना चाहे वो रैगिंग ही करे पेइंग गेस्ट रूम में, दुसरे को गल्त ठहराकर अपना काम पे असर नहीं होने देते और ये मुद्दे से अपने आप को हर तरीके से सुरक्षित कर बहुत ज्यादा लापरवाहियों से हम सब युवाओं का समय, धन बर्बाद कर इसी तरह शोषण करते |
9.कई पी. जी. और रेंटल रूम मे सोने का टाइम उठने तक के भी टाइम होते जिनके कारण जब ये सब उन्हें जब बाद मे पता चलता और भी कई तरह के नियम होते जोकि ओनर द्वारा पहले नहीं बताये जाते जिसके कारण परेशानी एक कंज्यूमर को ही आती हैं और ये ओनर बिना लाइसेंस, रजिस्टर्ड हुए मनमानी करते हुए बिना किसी का डर के सख्त कानून के अभाव मे सबका शोषण करते जिसका भोगी सिर्फ कंज्यूमर ही होता हमेशा ज्यादा से ज्यादा केसो में...पर कोई कम्प्लेन का रजिस्ट्रेशन करने तक को तैयार नहीं।
तो इस प्रकार हम कह सकते है कि अवेयरनेस की कमी जो चंडीगढ़ ट्राइसिटी में हमारे सर्वे के दौरान हमने पाया हर युवा दुखी है लेकिन अकेले कदम उठाने से डरता ये युवा क्या कानून, प्रशासन से यही उम्मीद करता है की उसकी सिक्योरिटी, सेफ्टी के लिए कोई सख्त कदम भी नहीं बनाया जाए जिससे कभी किसी कारण तो कभी किसी कारण सताया, धमकाया, डराया जा रहा ये युवा बिना पूरी सुरक्षा और बिना रिटेन में डॉक्यूमेंट्री एग्रीमेंट नहीं होने से चाहे वो युवा एक दिन रहने आया हो या पूरा महीना, साल पर जो ओनर, प्रशासन की लापरवाही से जो उसने ये सब भोगा क्या इससे वो हार मान ले या सहन करता युवा हमेशा इसी तरह एक्सप्लोइटेशन से ग्रषित रहेऔर प्राण या करियर त्याग दे |
जंहा आज जमीन के दाम कम हो रहे है पर ओनर इन युवाओ से आज भी ज्यादा रेंट मुँह-मांगे मूल्य पर वसूल करते और मजबूरी वश हमेशा ही उन्हें ये दर्द, वेदना सहनी पड़ती, वे आज के उन्नति करते समाज में भी असहाय युवतियां, नवयुवक है -तो सोचिये आपके समान, इज्जत और आपकी सेफ्टी की सुरक्षा क्या धाव पर होने से भी किसी को फर्क नहीं पड़ता जिससे आप अवेयरनेस की कमी कारण सहन कर रहे है अभी तक भी...
मुद्दा काफी बड़ा है पर एक्शन प्रशासन द्वारा लेना क्या आज के समय की जरूरी मांग है... सोचिये तभी आप जानेगे की क्या ये सब जो है सही है... या सुरक्षा से खिलवाड़...
क्या यही सहना भारत का उज्जवल सपना था या युवाओ को अपनी अधिकारों के प्रति जागरूक करना- प्रशासन द्वारा ।...
हमारा ये आर्टिकल लिखने का तात्पर्य बस यही की आप अवेयर होंगे तभी एक- एक युवा के जागरूक होने से ही जो अपना भारत विकसित, सुन्दर, जागरूक समाज का नवनिर्माण होगा...
इस आर्टिकल को शेयर करे यदि आप भी ताकि इस इस तरह के मुद्दे से सहमत हो रहे है तो शेयर करे ये लेख यदि आप भी बदलाव के इच्छुक है.. तभी नवनिर्माण संभव होगा।
Want pil for this - [protected]@gmail.com
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