Address: | Lucknow, Uttar Pradesh |
श्रीमान मैनेजर साहब
सहारा इंडिया
महोदय निवेदन है क़ि मेरा नाम कहकशां परवीन पत्नी मोहद अशरफ खान ग्राम देवली पोस्ट मुबारकपुर जिला आजमगढ़ है,
एवं मैंने सहारा इंडिया की शाखा अनजान शहीद में १००० रुपया महाना का एक खाता "स्कीम सहारा.स.अनोखा" खोला, जिसका खाता संख्या ५३७७५१००२८३ और सदस्यता संख्या ५३७७१४००१६७ है,
ये खाता आप के बैंक की एक एजेंट सुशीला देवी जिनका सहारा इंडिया में कोड संख्या १०६२११३४१ है के द्वारा दिनांक १२ अगस्त २०१४ को खोला गया था, जिसमे सुशीला देवी जी से ये तै हुवा था क़ि वो हर माह की १५ तारीख़ को मुझसे १००० रुपया ले जाकर शाखा में जमा करेंगी एवं उसकी रसीद देंगी, मगर सुशीला देवी जी ने ऐसा नहीं किया वो खाता खोलने के बाद ३० सितम्बर को आयीं और दुबारा ३१ दिसंबर को आयीं, एवं इसी तरह से हर बार बिना किसी समय या बिना किसी सुचना के आती और पैसा ले कर जाती रहीं,
समस्या तब आयी जब वो १५ मार्च के बाद आकर हमसे १००० रुपया ले गयीं और कहा क़ि मैं अगली बार आकर इसकी रसीद दे दूंगी जैसा क़ि वो हर बार करती थीं,
मगर जब वो २६ अगस्त २०१६ को आयीं तब हमने उनसे रसीद मांगी तो बोली क़ि रसीद मैं लाना भूल गयी हूँ मगर आप निश्चिंत रहें आप का पैसा कहीं नहीं जाएगा मैं जल्दी ही उसकी रसीद लाकर दुंगी,
मेरे द्वारा कई बार फ़ोन से बात करने पर उन्होंने विवशता जताई और कहा क़ि मेरी तबियत ख़राब होने क़ि वजह से मैं आ नहीं पा रही हूँ
मगर मैं जैसे ही आउंगी आप को रसीद दे दुंगी,
मगर जब वो ३१ दिसंबर को आयीं तब भी उन्होंने नहीं दिया और अगली बार का कह कर चली गयीं और चार महीने बाद जब वापस आयीं तब उन्होंने कहा क़ि रसीद हमसे खो गयी है मगर आप निश्चिन्त रहें मैं आप को उसकी डुप्लीकेट कॉपी निकलवाकर दे दुंगी, और इसी क्रम में जब मैंने अपनी रसीदों की जांच की तब मैंने पाया की मेरी १ रसीद में पाया की वो मुझसे १५ मार्च २०१६ को ५००० रुपया ले गयी और मेरी पासबुक पे भी ५००० चढ़ा कर अपना हस्ताक्षर किया है लेकिन वो रसीद ४००० की ला कर दी हैं,
तब मुझे शंका हुई और मैंने उनसे कहा क़ि ठीक है आप हमें समय बताइये हम आप की सहारा इंडिया की शाखा पर चल कर अपनी रसीद ले लेंगे, और अपने खाते की जांच करवाएंगे, मगर उसके बाद से सुशीला देवी न तो मेरा फ़ोन उठाती थीं न अपने सहारा इंडिया अनजान शहीद की शाखा पर मिलती थीं,
मगर कई बार फ़ोन करने पर और उनके पडोसी और परिवार वालों से कहने पर वो विवश होकर बीते २९ नवम्बर को मेरे घर आयीं और बहस करने लगीं, घंटों की बहस के बाद मैंने कहा कि ठीक है चलो तुम्हारी ब्रांच चलते हैं तो उसने कहा कि नहीं अभी मेरे परिवार में किसी का "मुंडन" है इसलिए मैं सोमवार यानी ३ दिसंबर को शाखा चलूंगी,
श्रीमान से निवेदन है कि जब मैं शाखा में ३ दिसंबर को सुबह जब उनको शाखा पे चलने के लिए करने लगा तो उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया तब मैंने उनको शाखा पर पहुँचने का मैसेज डालकर ११ बजे के आस पास सहारा इंडिया कि अनजान शहीद शाखा पर पहुंचा तो न वो वहां मिली ना ही शाखा प्रबंधक साहब मिले, तब मैंने शुशीला जी को फ़ोन मिलाया तो उनका फ़ोन बंद मिला, तब मैंने शाखा से मैनेजर साहब का मोबाइल नंबर लेकर उनको फ़ोन मिलाया तो उन्होंने मेरी बात सुनी और बोले कि मैं या मेरा बैंक इसमें कुछ नहीं कर सकता आप व्यक्तिगत तरीके से इस समस्या से निपटिए,
काफी देर परतीक्षा करने पर लग भाग २ बजे मैनेजर साहब आये और वही बात दुहराते हुवे बोले कि आप जाएँ और उनसे समझें, इतने में आस पास के लोग जो शाखा में बैठे थे और जिसमे में से कुछ शाखा में एजेंट भी थे उन्होंने ने भी मैनेजर साहब से सुशीला जी के दूसरे खतों में भी गड़बड़ी करने कि बात बताई, तब मैनेजर साहब ने हमें आश्वाशन दिया कि " ठीक है मैं शुशीला से बात कर के बताता हूँ, "
श्रीमान से निवेदन है कि मैं अपने पासबुक कि कॉपी इस मेल में संलग्न कर रही हूँ आप उसपर भी देखें कि किस तरह से मेरे साथ धोका धड़ी की गयी है.
अतः श्रीमान से निवेदन है पुरे मामले को संज्ञान में लेते हुवे उचित कार्यवाही करें और मेरा २००० रुपया सुशीला देवी से वापस करने का आदेश जारी करें .
धन्यवाद्
प्रार्थी
कहकशां परवीन पत्नी मोहम्मद अशरफ खान
खाता संख्या ५३७७५१००२८३
सदस्यता संख्या ५३७७१४००१६७
Mobile No. [protected]
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