टाइम्स आफ इंडिया एक एेसा अखबार हैं जिसमें पढ़ें लिखे अनपढ़ों की संख्या ज्यादा लग रही है जहां उन्हें सामाजिक तथा धार्मिक माहौल खराब करने के लिए पैसा मिलता है उन्हें पता है हम ऐसे जगह पर अपना अखबार प्रसारित कर रहे हैं जहां लोग वही देखेंगे जो हम दिखाना चाहते हैं न कि उससे होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी प्राप्त करें?
जिस काले अक्षरों ने हमें यह समझने और लिखने की शैली दी आज हम ही उस काले अक्षरों का उपयोग ऐसे कर रहे हैं जो कि एक दिन बदलाव न बनकर समाज विघटन के लिए जिम्मेदार होता जा रहा है.
इस समाचार पत्र ने १२/१०/१८ को पैसे के लिए एक विज्ञापन जारी किया, जो एक घृणित कार्य है जिसके लिए इस समाचार पत्र को इस समाज से माफ़ी मांगनी चाहिए अन्यथा यह हमारे जैसे सामाजिक लोगों पर निर्भर है कि हम अपने भविष्य के लिए इस समाचार पत्र को कैसे देखें?
धन्यवाद
आव्हान सामाजिक प्रतिष्ठान (रजि.)
एक आव्हान *बदलाव* की ओर...
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